नवरात्र में इन बातों का रखें ध्यान, भुल से भी ना करें ये 4 काम

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नवरात्र में इन बातों का रखें ध्यान, भुल से भी ना करें ये 4 काम

15/10/2023 से शुरु होगी माता के नौ आदिस्वरूपों की पुजा, नवरात्र में इन बातों का रखें ध्यान, भुल से भी ना करें ये 4 काम

शक्ति उपासना में महत्वपूर्ण शारदीय नवरात्र पर्व रविवार, 15 अक्टूबर से प्रारंभ हो रहे हैं। शारदीय नवरात्र मनाने के पिछे मान्यता है की मां दुर्गा ने आश्विन मास में महिषासुर पर आक्रमण कर उससे युद्ध किया और दसवें दिन यानी विजयदशमी को माता ने महिषासुर का वध किया था।
इसलिए नौ दिनों को नौ रूपों में शक्ति की आराधना की जाती है जिनके नाम क्रमश: शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और सिद्धिदात्री है।
मां दुर्गा के यह नौ रूप सृष्टि के विभिन्न रहस्यों को उजागर करते हैं।
इनकी साधना से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। नवरात्र में हर दिन मां के अलग अलग रूप की पुजा हाेती है।

 

नवरात्र में इन बातों का रखें ध्यान, भुल से भी ना करें ये 4 काम

नवरात्र का महत्व

नवरात्र का संबंध सूर्य ऊर्जा से है। वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं चैत्र, आषाढ़, आश्विन व माघ। आषाढ़ और माघ महीने में आने वाले नवरात्र को गुप्त संज्ञा दी जाती है। यह सूर्य के अयन परिवर्तन के बाद आते हैं जबकि चैत्र, शारदीय नवरात्र सूर्य के गोल परिवर्तन के बाद। सूर्य से मिलने वाली ऊर्जा इष्ट की उपासना के लिए श्रेष्ठ है।

नवरात्र में इन बातों का रखें ध्यान, भुल से भी ना करें ये 4 काम

नवरात्र पूर्व तैयारी

पूजन सामग्री जैसे रोली, मोली, चावल, सिंदूर, फल, जैसी सामग्री पहले एकत्रित कर ले।
मिट्टी का एक बर्तन जिसमे जौ उगाने है वह लेकर आए और उपजाऊ मिट्टी भी। जौ का पूजन सृजन शक्ति का प्रतीक मानते हैं।
श्रृंगार सामग्री, कपड़े, और चुनरी देवी को विषेश रूप से अर्पित की जाती है।

मंत्र या स्त्रोत पाठ

अनुष्ठान में जप और स्त्रोत का पाठ बताया जाता है।
देवी उपासना में दुर्गा सप्तशती का पाठ सबसे महवपूर्ण माना जाता है, क्योंकि यह संस्कृत में होता है, तो आमजन के लिए इतना सुलभ नही होता। दुर्गा सप्तशती मार्कण्डेय पुराण में उद्धत देवी उपासना के स्त्रोत अर्थात स्तुति है। इसके पाठ का नियम और क्रम होता है।

नवरात्र पर घट स्थापना

नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घट स्थापना की जाती है। घट यानी कलश के साथ मिट्टी के बर्तन में ज्वार भी स्थापित किए जाते हैं। मां दुर्गा अथवा अपने इष्ट देवी देवता के तीन इंच तक के विग्रह अथवा चित्र की स्थापना भी साथ में करे।

ऐसे करें अनुष्ठान

घी और तेल का दीपक लगाएं। सबसे पहले रोली, चावल,चंदन, पुष्प, मिठाई, फल आदि चढ़ाकर पूजन करना है। यह क्रम देवी, देवता के आह्वान, स्थापना विभिन्न उपचार सामग्री अर्पण और पुष्पाजली से पूर्ण होता है।
एक सामान्य व्यक्ति दुर्गा चालीसा का पाठ, मां दुर्गा के 108 नाम मंत्रो का जप, नवार्ण मंत्र ‘ऐ ह्लि क्लीं चामुंडाये विच्चे’ का जप, दुर्गा सप्तशती का हिंदी में पाठ कर सकता है।
शक्ति के अन्य रूप जैसे मां सरस्वती, मां काली की उपासना भी अपनी कामना अनुसार की जा सकती है|

अंत में करे आरती

आरती का क्रम लगातार नौ दिनों तक चलता है। यह पूजन पहले दिन महूर्त के अनुसार फिर अगले दिन से अपना अनुष्ठान सुबह, सायकल या रात्रि में भी कर सकते है।

नवरात्र में न करें ये काम

नवरात्र में 9 दिनों तक अनुष्ठान के सभी नियमों का पालन करे।
वृत, ब्रह्मचर्य, भूमि शयन ।
नशा नही करें, झूठ नहीं बोले, बालों का नही कटवाना, दाढ़ी मूछ नही कटवाना जैसे नियमों का पालन करें।

 

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