Kota Coaching System New Guidelines : कोचिंग सेंटर्स के लिए सरकार ने जारी की गाइडलाइन, स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत, पढ़ें नए नियम

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Kota Coaching System New Guidelines: कोचिंग सेंटर्स के लिए सरकार ने जारी की गाइडलाइन, स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत, पढ़ें नए नियम

Kota Coaching System New Guidelines :

कोटा. कोचिंग सिटी कोटा में स्टूडेंट्स द्वारा लगातार की जा रही सुसाइड्स को लेकर राजस्थान सरकार गंभीर नजर आ रही है. कोटा सहित प्रदेश के सभी कोचिंग संस्थानों को रेगुलेट करने के लिए राज्य सरकार की ओर से एक गाइडलाइन जारी कर दी गई है. नई गाइडलाइन के मुताबिक अब किसी भी छात्र को कक्षा 9वीं से पहले कोचिंग संस्थानों में प्रवेश नहीं दिया जाएगा. इसके साथ ही कोचिंग में प्रवेश से पूर्व छात्र को स्क्रीनिंग परीक्षा देनी होगी. स्क्रीनिंग टेस्ट का परिणाम केवल छात्र को ही बताया जाएगा और नए बैच की सिटिंग व्यवस्था छात्रों की रैंक के बजाय अल्फाबेटिकली निर्धारित की जाएगी.

Kota Coaching System New Guidelines:

लगातार सामने आ रही छात्र आत्महत्या की खबरों के बाद, राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक हाई लेवल कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी ने कोचिंग संस्थानों में छात्रों में बढ़ते तनाव, मानसिक दवाब और आत्महत्याओं के पीछे की वजहों को लेकर एक रिपोर्ट जारी की है. साथ ही कोचिंग इंस्टीट्यूट्स, पीजी/हॉल्टल्स और प्रशासन के लिए गाइडलाइंस भी जारी की है.

कमेटी द्वारा जारी रिपोर्ट में कोचिंग संस्थानों के भीतर छात्रों में बढ़ते तनाव और आत्महत्या की मुख्य वजहों को लेकर सिलसिलेवार तरीके से बताया गया है. इसके अलावा समस्या से निपटने के लिए कुछ सुझाव भी दिए गए हैं. इसके तहत छात्रों की मॉनिटरिंग, प्रवेश से पहले छात्र का स्क्रीनिंग टेस्ट एवं स्टूडेंट्स के साथ- साथ हर 3 महीने में उनके पैरेन्ट्स की काउंसलिंग का सुझाव भी शामिल किया गया है.

एंट्री गेट पर लगेगा लाइव मॉनिटरिंग सिस्टम

Kota Coaching System New Guidelines : कोचिंग सेंटर्स के लिए सरकार ने जारी की गाइडलाइन, स्टूडेंट्स को मिलेगी राहत, पढ़ें नए नियम

शिक्षा सचिव के नेतृत्व में गठित की गई टीम के द्वारा जारी 9 पेज की गाइडलाइन में कोचिंग संस्थानों के साथ- साथ हॉस्टल संचालकों के लिए भी दिशा- निर्देश जारी किए गए हैं. गाइडलाइन के अनुसार अब हॉस्टलों में क्षमता से अधिक छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाएगा. साथ ही मेस का चार्ज भी अनुपातिक रूप से लेना होगा और हॉस्टल के एंट्री गेट पर लाइव मॉनिटरिंग स्थापित कर स्टूडेंट की बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज करनी होगी. इसके अलावा गर्ल्स हॉस्टल में महिला वॉर्डन की नियुक्ति करना अनिवार्य है.

छात्रों में बढ़ते तनाव, मानसिक दबाव और आत्महत्याओं के पीछे 6 बड़े कारण

1.  प्रतियोगी परीक्षा में अत्यधिक प्रतिस्पर्धा और सफलता की सीमित संभावना, सिलेबस और टेस्ट पेपर ज्यादा कठिन होने की वजह से कोचिंग संस्थानों के छात्रों में उत्पन्न मानसिक दबाव एवं निराशा.
2. बच्चों की योग्यता, रूचि व क्षमता से अधिक उन पर पढ़ाई का बोझ एवं अभिभावकों की बड़ी उम्मीदें.
3. कम उम्र में व्यवहार में बदलाव, परिवार से दूर रहना, समुचित काउंसलिंग एवं समुचित शिकायत निवारण तंत्र का अभाव.
4. असेसमेंट टेस्ट्स का ज्यादा, उनका रिजल्ट सार्वजनिक करना, छात्रों पर टिप्पणी करना और परिणाम के आधार पर कोचिंग संस्थानों द्वारा बैच सेग्रिगेशन करना.
5. कोचिंग संस्थानों का बहुत बिजी शेड्यूल और बड़ा सिलेबस.
6. छुट्टियों का न होना, मोनोटोनस माहौल और सह-शैक्षणिक गतिविधियों का अभाव.

सीएम ने कोचिग संचालकों को दी थी हिदायत

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा 18 अगस्त को कोटा सहित पूरे राजस्थान के कोचिंग संचालकों के साथ बैठक आयोजित की गई थी. उन्होंने कोटा में छात्रों की आत्महत्या के मामले को गंभीरता से लेते हुए कोचिंग संचालकों को वर्तमान प्रणाली में सुधार करने के लिए कहा था. सीएम ने कहा था कि आप लोग 9वीं और 10वीं के स्टूडेंट्स को दाखिला देकर अपराध कर रहे हैं. 9वीं, 10वीं के स्टूडेंट पर एंट्रेंस एगेजाम के साथ क्लास में पास होने का डबल दबाव आ जाता है. इसमें बच्चों के माता- पिता की भी गलती रहती है.

कोचिंग संस्थानों के लिए ये जारी किए गए हैं दिशा- निर्देश

1. नई गाइडलाइन के मुताबिक कोई भी कोचिंग संस्थान 9वीं कक्षा के पहले किसी विद्यार्थी को अपने संस्थान में प्रवेश नहीं दे सकेगा. विद्यार्थी के प्रवेश से पहले स्क्रीनिंग टेस्ट के माध्यम से उसकी क्षमता एवं अभिरुचि का आंकलन किया जाएगा. यदि कोई विद्यार्थी 9वीं कक्षा से पहले कोचिंग छोड़ना चाहता है तो उसकी बकाया फीस वापस की जाए.
2. रिजल्ट के आधार पर अलग बैच न बनाएं. रिजल्ट को सार्वजनिक न करें और जो बच्चा कम नंबर ला रहा है उसकी काउंसलिंग करें.
3. कोचिंग संस्थान अपने विद्यार्थियों से नियमित संवाद करें और स्टाफ की विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा गेटकीपर ट्रेनिंग जरूर कराएं.
4. किशोरावस्था की मानसिक स्थिति को जानने वाले मनोसलाहकारों की नियुक्ति जरूर करें.
5. नियमित अवकाश एवं सह- शैक्षणिक गतिवियां आयोजित करें.
7. इजी एग्जिट ऑफ्शन और रिफंड पॉलिसी को तुरंत लागू करें.
7. विद्यार्थियों की समस्याओं को दर्ज कराने के लिए टेली मानस एवं अन्य टोल फ्री नंबर जारी किए जाएं.

हॉस्टल एवं पीजी संचालकों के लिए ये दिशा- निर्देश दिए गए हैं

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नई गाइडलाइन के अनुसार हॉस्टल संचालक क्षमता से अधिक बच्चों को एंट्री न दें. इसके साथ ही विद्यार्थी के द्वारा बीच में हॉस्टल छोड़ने पर उसका बकाया चार्ज लौटाया जाए. इसके अलावा हॉस्टल या पीजी में सीसीटीवी कैमरे लगवाए जाएं एवं विद्यार्थियों की रोजाना बायोमेट्रिक उपस्थिति दर्ज की जाए. इसके साथ ही विद्यार्थी की सूचना नियमित रूप से बच्चों के अभिभावकों को दी जाए और उनकी शिकायत को प्रशासन द्वारा जारी पोर्टल पर प्रदर्शित किया जाए.

राजस्थान सरकार ने ‘कोटा’ के लिए जारी की जरूरी गाइडलाइंस – PDF देखें

 

 

 

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